तेरी चाहत की हलचल।
तेरी चाह की हलचल
मन के उद्गारों में मची एक हलचल।
रुसवाइयों में न बीते फिर से कल।
तन्हा हो सफर ,ओ मेरे हमकदम।
चल चल तु ,यहाँ से बहुत दूर चल।
कौन सी मंजिल ,कहाँ तलक तक है।
न हैं किसी राह की खोज खबर।
बीते यूहीं ,मेरे साल महीने पल।
चल चल तु ,यहाँ से बहुत दूर चल।
मेरे जीवन की कहानियाँ।
बेताब हो कर ,जाती बिखर।
न रहा कोई ,अपना सम्भल।
चल चल तु ,यहाँ से बहुत दूर चल।
न दिमाग और दिल पर रहा जोर।
जब मर्जी, हो जाए तेरी ओर।
न मेरा ,आज रहा न कल।
चल चल तु ,यहाँ से बहुत दूर चल।
चाहत तेरी ,मेरी दिवानगी है।
न जीते बनता हैं न मरते।
तेरा प्रेम ,बन गया है गरल।
चल चल तु ,यहाँ से बहुत दूर चल।
नीलम गुप्ता (नजरिया)
दिल्ली
मनोज कुमार "MJ"
29-Jul-2021 11:43 AM
Waah bahut khoob
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Pawan kumar chauhan
29-Jul-2021 11:41 AM
बहुत खूब👌
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Renu Singh"Radhe "
29-Jul-2021 11:25 AM
बहुत खूब
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