NEELAM GUPTA

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तेरी चाहत की हलचल।

     तेरी चाह की हलचल

मन के उद्गारों में मची एक हलचल।
रुसवाइयों में न बीते फिर से कल।
तन्हा हो सफर ,ओ मेरे हमकदम।
चल चल तु ,यहाँ से बहुत दूर चल।

कौन सी मंजिल ,कहाँ तलक तक है।
न हैं किसी राह की खोज खबर।
बीते यूहीं ,मेरे साल महीने पल।
चल चल तु ,यहाँ से बहुत दूर चल।

मेरे जीवन की कहानियाँ।
बेताब हो कर ,जाती बिखर।
न रहा कोई ,अपना सम्भल।
चल चल तु ,यहाँ से बहुत दूर चल।

न दिमाग और दिल पर रहा जोर।
जब मर्जी, हो जाए तेरी ओर।
न मेरा ,आज रहा न कल।
चल चल तु ,यहाँ से बहुत दूर चल।

चाहत तेरी ,मेरी दिवानगी है।
न जीते बनता हैं न मरते।
तेरा प्रेम ,बन गया है गरल।
चल चल तु ,यहाँ से बहुत दूर चल।

नीलम गुप्ता (नजरिया)
         दिल्ली

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10 Comments

Waah bahut khoob

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Pawan kumar chauhan

29-Jul-2021 11:41 AM

बहुत खूब👌

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Renu Singh"Radhe "

29-Jul-2021 11:25 AM

बहुत खूब

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